Category Archives: साम्राज्‍यवाद

गाज़ा पर इज़रायली सेटलर औपनिवेशिक घेरेबन्दी मुर्दाबाद! गाज़ा पर इज़रायली कब्ज़ा मुर्दाबाद! फ़िलिस्तीनी जनता का मुक्ति संघर्ष ज़िन्दाबाद!

कोई भी व्यक्ति जिसमें न्याय, बराबरी और निष्पक्षता की थोड़ी भी भावना है, वह स्वस्थ मन से इज़रायली सेटलर उपनिवेशवादी राज्य का समर्थन नहीं कर सकता! हम सभी जानते हैं कि इस मसले का केवल एक ही समाधान है- फ़िलिस्तीन का एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में स्थापित होना जहाँ मुस्लिम, यहूदी और ईसाई एक साथ रह सकें। हमास का उद्देश्य ऐसे किसी धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करना है या नहीं, यह इज़रायली सेटलर्स द्वारा औपनिवेशिक गु़लामी और नस्लवादी रंगभेद का विरोध करने के फिलिस्तीनियों के अधिकार का आधार नहीं बन सकता है; अपने नेतृत्व का चुनाव करने का अधिकार फिलिस्तीनियों का अपना अधिकार है और सच तो यह है कि हमास इज़रायल के खा़त्मे या यहूदियों के क़त्लेआम की बात नहीं कर रहा, आप ख़ुद इसे देख सकते हैं! वो 1967 के दौर में मौजूद सीमाओं को वापस बहाल करने की माँग कर रहा है, द्वि-राज्य समाधान की बात कर रहा है और नये सेटलर उपनिवेश पर रोक और 100000 गाज़ाई बन्दियों के रिहाई की माँग कर रहा है।

यूक्रेन युद्ध: तबाही और बर्बादी के 500 दिन

यूक्रेन युद्ध में आम लोगों की भले ही कितने भी बड़े पैमाने पर तबाही और बर्बादी हो रही हो, लेकिन मुनाफ़े की होड़ की वजह से पैदा होने वाला युद्ध अपने आप में अकूत मुनाफ़ा कूटने का ज़रिया भी बन रहा है। सबसे ज़्यादा फ़ायदा अमेरिका के मिलिटरी औद्योगिक कॉम्पलेक्स को हो रहा है। लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन और बोइंग जैसी अमेरिकी सैन्य कम्पनियाँ यूक्रेन युद्ध की वजह से सैन्य हथियारों के उत्पादन के पुराने कीर्तिमान तोड़ रही हैं और इस प्रक्रिया में दौरान अभूतपूर्व मुनाफ़ा कमा रही है। इन कम्पनियों के शेयर्स की क़ीमतों में भी ज़बर्दस्त उछाल देखने को आ रहा है।

यूक्रेन-रूस युद्ध की विभीषिका में साम्राज्यवादी गिद्ध हथियार बेच कमा रहे बेशुमार मुनाफ़ा

इस भयानक बर्बादी के बीच रूस और पश्चिमी देशों के रक्षा उद्योग की कम्पनियों ने ज़बरदस्त मुनाफ़ा कमाया है। टैंक, से लेकर ड्रोन, मिसाइल, मशीनगन, विमान तथा अन्य हथियारों का बाज़ार कुलाँचे मारकर आगे बढ़ रहा है। लॉकहीड मार्टिन, रेथ्योन, बोइंग और नॉर्थरोप ग्रुम्मन जैसी अमेरिकी हथियार कम्पनियों ने पिछले साल ज़बरदस्त मुनाफ़ा कमाया है। नॉर्थरोप ग्रुम्मन के शेयर 40 प्रतिशत बढ़ गये हैं जबकि लॉकहीड मार्टिन के शेयरों की कीमत में 37 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। ब्रिटेन की रक्षा क्षेत्र की कम्पनी बीएई सिस्टम्स के शेयर में नये साल की शुरुआत से अब तक 36 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। ल्योपार्ड टैंक बनाने वाली जर्मनी की राईनमेटल कम्पनी ने भी पिछले साल जमकर मुनाफ़ा कमाया है। रूस की रक्षा कम्पनियों ने भी इस तबाही में ज़बर्दस्त मुनाफ़ा पीटा है।

ताइवान को लेकर अमेरिका व चीन के बीच तेज़ होती अन्तर-साम्राज्यवादी होड़

विश्व पूँजीवाद के अन्तरविरोध दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तीखे रूप में प्रकट हो रहे हैं। अन्तर-साम्राज्यवादी होड़ के नतीजे के रूप में यूक्रेन में शुरू हुआ युद्ध अभी तक जारी है। इसी बीच 3 अगस्त 2022 को अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने अपनी दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान ताइवान की राजधानी ताइपेई का भी दौरा किया जिसके बाद से वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल मच गयी। दरअसल चीन ताइवान को एतिहासिक तौर पर अपना हिस्सा मानता है और उसका देर-सबेर चीन के साथ विलय होना निश्चित मानता है।

अन्धाधुन्ध गोलियाँ बरसाकर सामूहिक हत्याएँ : अमेरिकी समाज की गम्भीर मनोरुग्णता का एक लक्षण

अमेरिकी बुर्जुआ समाज, बीमार, सचमुच बेहद बीमार है। बुर्जुआ सभ्यता और भौतिक प्रगति का यह बहुप्रचारित, लकदक चमक-दमक वाला मॉडल अन्दर से सड़ चुका है। अमेरिकी बुर्जुआ सभ्यता मानवीय सारतत्व से रिक्त और खोखली हो चुकी है। अमेरिकी बुर्जुआ समाज समृद्धि के शिखर पर बैठा हुआ भविष्यहीनता के अवसाद और आतंक में डूबा हुआ है। अमेरिकी “श्रेष्ठता” की खोखली उल्लास व उन्माद-भरी चीख़ों के पीछे दुनियाभर के युद्धों, रक्तपातों, नरसंहारों का अपराधबोध सामूहिक मानस में पार्श्व-संगीत की तरह लगातार बज रहा है।

यूक्रेन में जारी साम्राज्यवादी युद्ध का विरोध करो!

दो साम्राज्यवादी ख़ेमों की आपसी प्रतिस्पर्धा की क़ीमत विश्व की आम जनता एक बार फिर चुका रही है। एक ओर साम्राज्यवादी रूस और दूसरी ओर साम्राज्यवादी अमेरिका के नेतृत्व में नाटो (उत्तरी अटलाण्टिक सन्धि संगठन)। इन दोनों साम्राज्यवादी ख़ेमों की आपसी प्रतिस्पर्धा में यूक्रेन की जनता युद्ध की भयंकर आग में झुलस रही है। 24 फ़रवरी को साम्राज्यवादी रूस ने यूक्रेन पर युद्ध की घोषणा कर दी। इस घोषणा ने रूस और अमेरिका के नेतृत्व में नाटो के बीच महीनों से चल रहे वाकयुद्ध को वास्तविक युद्ध में बदल दिया है, हालाँकि नाटो इस युद्ध से किनारे हो गया है और यूक्रेन की जनता पर रूसी साम्राज्यवाद को क़हर बरपा करने के लिए खुला हाथ दे दिया है।

महामारी के दौर में भी यूक्रेन और ताइवान में बजाये जा रहे युद्ध के नगाड़े

हाल के महीनो में कोरोना वायरस की नयी क़िस्म ओमिक्रॉन के दुनियाभर में फैलने की ख़बर सुर्ख़ियों में रही। ऐसे में किसी मानवीय व्यवस्था में यह उम्मीद की जाती कि दुनिया के तमाम देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हुए इस वैश्विक महामारी से निपटने में अपनी ऊर्जा ख़र्च करते। लेकिन हम एक साम्राज्यवादी दुनिया में रह रहे हैं। इसलिए इसमें बिल्कुल भी हैरत की बात नहीं है कि वैश्विक महामारी के बीच, एक ओर यूक्रेन में, तो दूसरी ओर ताईवान में युद्ध के नगाड़ों का कानफाड़ू शोरगुल लगातार बढ़ता जा रहा है।

क्यूबा में साम्राज्यवादी दख़ल का विरोध करो!

जुलाई से ही क्यूबा में विपक्ष के नेताओं के आह्वान पर हज़ारों लोगों के सड़कों पर उतरने की ख़बरें आ रही हैं। बिजली कटौती, खाद्य सामग्री का महँगा होना व कोरोना के नये संस्करण के चलते बीमारी का फैलना प्रमुख कारण थे जिनके ख़िलाफ़ आम जनता में रोष है। परन्तु जब इसके साथ ही अमेरिका के सारे मीडिया चैनल और अख़बार ‘क्यूबा की मदद करो’ और इन आन्दोलनों को ‘जनवाद की बहाली’ बताने का आन्दोलन बताने लगते हैं तो समझ में आता है कि दाल में कुछ काला है!

तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के बदतर हालात

बीते 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल पर क़ब्‍ज़ा करने के बाद से अफ़ग़ानिस्‍तान में अफ़रा-तफ़री का आलम है। अमेरिका द्वारा अफ़ग़ानिस्‍तान से अपनी सेना वापस बुलाने के फ़ैसले के बाद यह तो तय था कि वहाँ की सत्ता पर देर-सबेर तालिबान का क़ब्‍ज़ा हो जायेगा, लेकिन यह इतना जल्दी हो जायेगा, इसका अनुमान किसी को भी नहीं था। यही वजह है कि तालिबान के क़ब्‍ज़े की ख़बर सुनते ही हज़ारों की संख्या में काबुलवासी बदहवासी में देश छोड़ने के लिए काबुल के एयरपोर्ट पर जमा होने लगे। काबुल एयरपोर्ट पर क़रीब 15 दिनों तक अफ़रा-तफ़री का माहौल रहा।

बीस साल से जारी युद्ध में तबाही के बाद अफ़ग़ानिस्तान गृहयुद्ध की ओर

अमेरिका की अफ़ग़ानिस्तान से वापसी बीस साल से जारी युद्ध में तबाही के बाद अफ़ग़ानिस्तान गृहयुद्ध की ओर – आनन्‍द सिंह ‘आतंक के ख़ि‍लाफ़ युद्ध’ के नाम पर दो दशक…