द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर को दरअसल किसने हराया?
जब 1941 में नाजियों ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया तो पूँजीवादी जगत ने घोषणा कर दी कि साम्यवाद मर गया। लेकिन उन्होंने सोवियत समाजवाद की ताकत और अपने समाज की रक्षा करने वाले सोवियत जनगण की अकूत इच्छाशक्ति को कम करके आँका। स्तालिनग्राद के कंकड़-पत्थरों में आप इस सच्चाई का दर्शन कर सकते हैं कि जनगण हथियारों के जखीरे से लैस और तकनीकी रूप से उन्नत पूँजीवादी शत्रु को कैसे परास्त कर सकते हैं।