कारख़ानों में काम करने वाली स्त्री मज़दूरों के बुरे हालात
सूरत की एक कपड़ा फ़ैक्टरी में काम करने वाली स्त्री मज़दूर ने बीबीसी को बताया कि काम की जगह पर शौचालय तो है पर उसे ताला लगा रहता है। उसे दिन में सिर्फ़ दो बार ही खोला जाता है। वे हमें पेशाब करने जाने से रोकते हैं। इसलिए हम पानी नहीं पीते और पेशाब का ज़ोर पड़ने पर उसे रोके रखना पड़ता है। माहवारी के दिनों में औरतें काम पर नहीं आतीं, जब वे छुट्टी माँगने जाती हैं तो उनके पैसे काट लिये जाते हैं। वड़ोदरा के एक कारख़ाने में लक्ष्मी 10 घण्टों की शिफ़्ट में काम करती है। उसका कहना है कि “मर्दों और औरतों के साथ अलग-अलग व्यवहार किया जाता है। हमें सिर्फ़ 150 रुपये दिये जाते हैं, जबकि साथ काम करने वाले मर्दों को 300 रुपये दिये जाते हैं। औरतों के लिए अलग से शौचालय भी नहीं है।