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दुनिया की सबसे ताक़तवर कम्पनियों में से एक को हराकर अमेज़न के मज़दूरों ने कैसे बनायी अपनी यूनियन

दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक अमेज़न लगातार अपने यहाँ मज़दूरों की यूनियन बनने से रोकने की कोशिश करती रही है। यूनियन न बन पाये इसके लिए वह अरबों रुपये अदालती कार्रवाई पर और तरह-तरह की तिकड़मों पर ख़र्च करती रही है। मज़दूरों को डराने-धमकाने, उनके बीच फूट डालने के लिए उसने बाक़ायदा कई फ़र्मों को करोड़ों के ठेके दिये हुए हैं।

मई दिवस 1886 से मई दिवस 2022 : कितने बदले हैं मज़दूरों के हालात?

इस वर्ष पूरी दुनिया में 136वाँ मई दिवस मनाया गया। 1886 में शिकागो के मज़दूरों ने अपने संघर्ष और क़ुर्बानियों से जिस मशाल को ऊँचा उठाया था, उसे मज़दूरों की अगली पीढ़ियों ने अपना ख़ून देकर जलाये रखा और दुनियाभर के मज़दूरों के अथक संघर्षों के दम पर ही 8 घण्टे काम के दिन के क़ानून बने। लेकिन आज की सच्चाई यह है कि 2022 में कई मायनों में मज़दूरों के हालात 1886 से भी बदतर हो गये हैं। मज़दूरों की ज़िन्दगी आज भयावह होती जा रही है। दो वक़्त की रोटी कमाने के लिए 12-12 घण्टे खटना पड़ता है।

भगतसिंह की विरासत को विकृत कर हड़पने की घटिया कोशिश में लगी ‘आप’

पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार बनाने के बाद से भगतसिंह के अनुयायी होने का तमगा हासिल करने में लगी हुई है। इसके ज़रिए ‘आप’ ख़ुद को ‘सच्चा राष्ट्रवादी’ साबित करना चाहती है। चुनाव जीतने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त मान ने भगतसिंह के गाँव खटकड़ कलाँ में जाकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और भगतसिंह के सपनों को पूरा करने के बड़े-बड़े दावे किये, जिनका असलियत से कोई लेना देना नहीं है।

मेहनतकशों पर कोरोना की तीसरी लहर की मार

कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है। देश के कई राज्यों में कोरोना केसों की संख्या कम हो रही है और कई राज्यों में इसका अधिकतम उभार आना अभी बाक़ी है। दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता जैसे शहरों में केस अब कम हो रहे हैं। वहीं कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बेंगलुरु में अभी भी फैलना जारी है। 23 जनवरी तक पूरे देश मे 3,06,064 कोरोना केस आ चुके हैं और प्रतिदिन औसतन 500-600 मौतें हो रही हैं। इस बार पिछले वर्ष की तरह मौतें नहीं हो रहीं, पर इसके बावजूद यह बड़े पैमाने पर फैल रहा है। कोरोना का नया वेरियेण्ट ओमिक्रॉन उतना घातक नहीं है। यह फैलता ज़्यादा तेज़ है, लेकिन इसके कारण मृत्यु दर अभी काफ़ी कम ही है।

गंगासागर मेले में फिर से कोरोना फैलाने की इजाज़त

पिछले वर्ष जब हज़ारों लोग कोरोना और सरकार की लापरवाही के कारण मर रहे थे, तब भाजपा सरकार ने कुम्भ मेले का आयोजन किया था, जहाँ लाखों की तादाद में भीड़ इकट्ठा हुई थी और यह भी उस दौरान कोरोना के फैलने का एक कारण था। इसी राह पर चलते हुए पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने गंगासागर मेले का आयोजन कराया। यह मेला हर वर्ष मकर संक्रान्ति के अवसर पर 8-16 जनवरी के बीच लगता है। ज्ञात हो कि इस मेले में लाखों की संख्या में पूरे देश से लोग आते हैं। इस समय यह बीमारी फैलने का एक बड़ा स्थल बन सकता था।

सी.ओ.पी-26 की नौटंकी और पर्यावरण की तबाही पर पूँजीवादी सरकारों के जुमले

बीते 31 अक्टूबर से 13 नवम्बर तक स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में ‘कॉन्फ़्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (सीओपी) 26’ का आयोजन किया गया। पर्यावरण की सुरक्षा, कार्बन उत्सर्जन और जलवायु संकट आदि से इस धरती को बचाने के लिए क़रीब 200 देशों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए। कहने के लिए पर्यावरण को बचाने के लिए इस मंच से बहुत ही भावुक अपीलें की गयीं, हिदायतें दी गयीं, पर इन सब के अलावा पूरे सम्मेलन में कोई ठोस योजना नहीं ली गयी है। (ज़ाहिर है कि ये सब करना इनका मक़सद भी नहीं था।)

पर्यावरण और मज़दूर वर्ग

हर साल की तरह इस बार भी इस मौसम में दिल्ली-एनसीआर एक गैस चैम्बर बन गया है जिसमें लोग घुट रहे हैं। दिल्ली और आसपास के शहरों में धुँआ और कोहरा आपस में मिलकर एक सफ़ेद चादर की तरह वातावरण में फैला हुआ है, जिसमें हर इन्सान का साँस लेना दूभर हो रहा है। ‘स्मोक’ और ‘फॉग’ को मिलाकर इसे दुनियाभर में ‘स्मॉग’ कहा जाता है। मुनाफ़े की अन्धी हवस को पूरा करने के लिए ये पूँजीवादी व्यवस्था मेहनतकशों के साथ-साथ प्रकृति का भी अकूत शोषण करती है, जिसका ख़ामियाज़ा पूरे समाज को जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण के रूप में भुगतना पड़ता है।

भाजपा के “रामराज्यों” में दलितों के ख़िलाफ़ बढ़ती बर्बर हिंसा!

फ़ासीवादी भाजपा-शासित राज्यों में हो रहे दलित-विरोधी अपराध बर्बरता की सारी हदें पार करते जा रहे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब दलितों के साथ सवर्ण जातिवादी गुण्डों द्वारा हिंसा की घटना सामने न आती हो। बीते दिन प्रयागराज के फाफामऊ में दलित परिवार के चार सदस्यों की जातिवादी गुण्डों द्वारा बर्बर हत्या कर दी गयी। देशभर में दलितों के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा के इतिहास में यह घटना एक स्याह पन्ने की तरह दर्ज हो गयी है।

स्वतंत्र पत्रकारिता पर हो रहे फ़ासीवादी हमलों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाओ!

बीते दिनों न्यूज़क्लिक व न्‍यूज़लॉण्‍ड्री के दफ़्तर पर आयकर विभाग की छापेमारी हुई। कहने को तो आयकर विभाग इन न्यूज़ चैनलों के यहाँ “सर्वे” के लिए पहुँचा था लेकिन यह कैसा सर्वे था जिसमें आयकर विभाग इन न्यूज़ चैनलों की वित्तीय रिपोर्ट निकालने के बजाय वहाँ काम कर रहे लोगों के फ़ोन और लैपटॉप ज़ब्त कर रहा था? उनकी निजी जानकारियाँ इकट्ठा कर रहा था?

केजरीवाल की हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद की राजनीति

बीते दिनों आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र रैली का आयोजन किया। रैली की शुरुआत अयोध्या से की गयी, जहाँ राम मन्दिर बनने वाला है। रैली में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने स्पष्ट किया कि यूपी में असल में रामराज्य सिर्फ़ आम आदमी की सरकार ही ला सकती है। मनीष सिसोदिया, संजय सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी ही सही मायने में ‘सच्चे राष्ट्रवाद’ की वाहक है, भाजपा नहीं!