Category Archives: बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ

बोलते आँकड़े – चीख़ती सच्चाइयाँ : डीज़ल-पेट्रोल के नाम पर जारी लूट

दुनिया के किसी भी देश में शायद ही पेट्रोल पर इतना भारी टैक्स लगता हो। मसलन, तेल पर इंग्लैण्ड में 61 फ़ीसदी, फ्रांस में 59 और अमेरिका में 21 फ़ीसदी टैक्स लगता है। यह डकैती नहीं तो क्या है कि माल की कीमत पर माल की कीमत से भी ज़्यादा टैक्स लगाकर जनता को बेचा जाये? मोदी ने ठीक ही कहा था: “धन्धा मेरे ख़ून में है, पैसा मेरे ख़ून में है!” (3 सितम्बर 2014, डेकन क्रॉनिकल, नरेन्द्र मोदी का बयान)।

बोलते आँकड़े – चीख़ती सच्चाइयाँ : मेहनतकश आबादी की घटती आमदनी

आय में गिरावट और वस्तुओं के बढ़ते दाम का नतीजा है कि मेहनतकश तबके की थालियों से लगातार दालें व सब्ज़ियाँ गायब होते जा रहे हैं। राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो द्वारा 2012 में किये गए आखिरी सर्वे में बताया गया था कि 1979 की तुलना में 2012 में औसतन हर ग्रामीण को 550 कैलोरी उर्जा, 13 ग्राम प्रोटीन, 5 मिग्रा आयरन, 250 मिग्रा कैल्शियम और 500 मि ग्रा विटामिन ए प्रतिदिन कम मिल रहा है। अब ऊपर दिए आँकड़ों से साफ़ अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि कीमतों के बढ़ने से ये आँकड़े पिछले 10 सालों में और भी अधिक भयानक हुए होंगे। एक बड़ी आबादी सिर्फ़ रोज़ जीनेभर के सामान जुटाने लायक़ कमा रही है।

योगी के रामराज्य में इलाज बिना मरते मेहनतकश

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हर ज़िले में मेडिकल कॉलेज खोलने जैसे बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन वहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत इतनी ख़राब है कि ग़रीब आदमी बीमारी की तकलीफ़ से मुक्ति पाने के लिए मौत चुनने पर मजबूर हो जाये। बात सुनने में भयानक लगेगी लेकिन योगी के “रामराज्य” का सच यही है।

आज़ादी का (अ)मृत महोत्सव : अडानियों-अम्बानियों की बढ़ती सम्पत्ति, आम जनता की बेहाल स्थिति

मेहनतकश साथियों, इस साल हमारा देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। हर बार की तरह मोदीजी फिर इस बार लाल क़िले पर चढ़कर लम्बे-लम्बे भाषण देंगे। बड़े-बड़े वायदे करेंगे, जो हर बार की तरह पूरे नहीं होने वाले। इसका कारण भी है क्योंकि मोदी जी के लिए देश का मतलब आम जनता नहीं बल्कि देश के पूँजीपति हैं, इसलिए धन्नासेठों से किये सारे वायदे पूरे होते हैं और जनता को दिये जाते हैं बस जुमले। इस बार ये सरकार आज़ादी का मृत महोत्सव, माफ़ कीजिएगा, “अमृत महोत्सव” मना रही है। पर सवाल है किसके लिए आज़ादी?

मोदी सरकार के निकम्मेपन और लापरवाही ने भारत में 47 लाख लोगों की जान ली

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रपट के अनुसार कोविड महामारी के कारण दुनियाभर में क़रीब डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हुई। इनमें से एक तिहाई, यानी 47.4 लाख लोग अकेले भारत में मरे। भारत के आम लोग अभी वह दिल तोड़ देने वाला दृश्य भूले नहीं हैं, जिसमें नदियों में गुमनाम लाशें बह रही थीं, कुत्ते और सियार इन लाशों को खा रहे थे और श्मशान घाटों व विद्युत शवदाहगृहों के बाहर लोग मरने वाले अपने प्रियजनों की लाशें लिये लाइनों में खड़े थे।

कोरोना से हुई मौतों के आँकड़े छिपाने में जुटी मोदी सरकार के झूठों की खुलती पोल

मोदी सरकार के हिसाब से भारत में 11 जनवरी 2022 तक कोरोना के 3.59 करोड़ मामले और 4.84 लाख मौतें दर्ज की गयी हैं। लेकिन कई नये अध्ययनों और रिपोर्टों ने इस झूठ की कलई खोलकर रख दी गयी है। विश्व स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘साइंस’ में 6 जनवरी को ‘भारत में कोविड से मौतें : राष्ट्रीय सर्वे का डेटा और अस्पतालों में हुई मौतें’ शीर्षक से प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक़ कोरोना के दौरान 32 लाख लोगों की मौत हुई, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज मौतों से 7 गुना ज़्यादा है। एक अन्य प्रतिठित अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका ‘नेचर’ के अनुसार भारत में कोविड से क़रीब 50 लाख, यानी सरकारी आँकड़े से दस गुना ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं।

जनता का जीवन रसातल में तो चुनावबाज़ पार्टियों की सम्पत्तियाँ शिखरों पर क्यों?

हाल ही में एडीआर (असोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स) नामक संस्था ने विभिन्न पूँजीवादी चुनावबाज़ पार्टियों की सम्पत्तियों और उनकी देनदारियों का विवरण पेश किया है। चुनावी चन्दा लेने में सबसे आगे रहने वाली भाजपा सम्पत्ति के मामले में भी सबसे आगे है। भाजपा की कुल घोषित सम्पत्ति सात पार्टियों की कुल घोषित सम्पत्ति का क़रीब 70 प्रतिशत है। एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में सात राष्ट्रीय बुर्जुआ पार्टियों और 44 क्षेत्रीय बुर्जुआ पार्टियों की सम्पत्तियों की जानकारी दी है।

कोरोना से हुई मौतों का सच छिपाने की मोदी सरकार की कोशिश बेनक़ाब!

फ़ासीवादी मोदी सरकार द्वारा देश में कोरोना महामारी से हुई मौतों को छुपाने व मौत के ग़लत आँकड़े पेश करने के बावजूद कई रिपोर्टों से अब यह साबित हो रहा है कि दुनिया में कोरोना महामारी से सबसे ज़्यादा मौतें, एक रिपोर्ट के मुताबिक़ लगभग 47 लाख, भारत में हुई हैं। मानवद्रोही व संवेदनहीन मोदी सरकार का यह दावा कि कोरोना की दूसरी लहर में देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई, महज़ एक लफ़्फ़ाजी है।

75वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न वे मनायें जिन्हें इस लुटेरी व्यवस्था ने सबकुछ दिया है

आने वाले पन्द्रह अगस्त को 75वें स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की तैयारियाँ जारी हैं। सबसे ज़्यादा शोर वे मचा रहे हैं जिन्होंने ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ लड़ाई में कभी एक ढेला तक नहीं चलाया, क्रान्तिकारियों की मुखबिरी तक की और जंगे-आज़ादी को कमज़ोर करने के लिए उस समय भी हिन्दू-मुस्लिम को बाँटने में लगे रहते थे।

बोलते आँकड़े चीख़ती सच्चाइयाँ

बोलते आँकड़े चीख़ती सच्चाइयाँ – प्रस्तुति : पराग वर्मा बेरोज़गारी  भारत में अर्थव्यवस्था के आँकड़ों पर नज़र रखने वाली प्रमुख संस्था, सेण्टर फ़ॉर मॉनीटरिंग इण्डियन इकोनॉमी के अनुसार इस साल…