Category Archives: स्‍त्री विरोधी अपराध

मोदी-शाह के फ़ासीवादी राज में स्त्रियों के बद से बदतर होते हालात !

शुचिता और संस्कार का ढोंग करने वाली फ़ासीवादी भाजपा के राज ने इस पतनशील और प्रतिक्रियावादी मानसिकता और मज़बूत किया है। बलात्कारियों और हत्यारों को संरक्षण देने वाली पार्टी की सत्ता हमें स्त्री विरोधी अपराध के आँकड़ों के अम्बार के अलावा और दे भी क्या सकती है?! भाजपा के गुरू गोलवलकर का मानना था कि औरतें बच्चा पैदा करने का यन्त्र होती हैं; इनके माफ़ीवीर सावरकर का मानना था कि बलात्कार का राजनीतिक हिंसा के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एक ऐसी पार्टी से देश की औरतें क्या उम्मीद कर सकती हैं? एक ऐसी पार्टी चिन्मयानन्द, कुलदीप सेंगर, ब्रजभूषण, साक्षी महाराज जैसे बलात्कारी पैदा करती है, आसाराम और डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम जैसे बलात्कारियों को बचाती है, बिल्किस बानो के परिवार के हत्यारों और उसके बलात्कारियों को जेल से रिहा करती है, तो न तो यह इत्तेफ़ाक का मसला है और न ही ताज्जुब का। भाजपा जैसी स्त्री-विरोधी पार्टी यह नहीं करेगी तो और क्या करेगी?

स्त्रियों के शोषण-उत्पीड़न-बलात्कार में लिप्त दिल्ली सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग!

महिला सशक्तीकरण की दुहाई देने वाले दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग का स्त्री-विरोधी चरित्र पहले ही उजागर हो चुका है, और अब प्रेमोदय खाखा प्रकरण ने इनकी घिनौनी और सड़ी हुई मानसिकता को नई ऊँचाई पर ले जाने का काम किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक प्रेमोदय खाखा को बीते 20 अगस्त को एक नाबालिग से रेप के आरोप में पकड़ा गया है। मालूम हो कि वह बच्ची अपने पिता के निधन के बाद उनके दोस्त यानी प्रेमोदय खाखा के घर पर रह रही थी जहाँ आरोपी ने उसका कई बार बलात्कार किया।

बेटी बचाओ… भाजपाइयों और संघियों से

इन दोनों घटनाओं में भाजपा और संघ की संलिप्तता कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई सारे बलात्कार के मामलों में “संस्कारी और राष्ट्रवादी” भाजपाइयों का नाम आ चुका है। कठुआ, उन्नाव से लेकर कई और ऐसे बलात्कार के मामले सामने आए जिनमें भाजपा विधायक से लेकर के संघ के लोगों तक को सीधे दोषी के रूप में पाया गया। इसके अलावा आसाराम बापू, राम  रहीम और चिन्मयानन्द जैसे लोगों के साथ भी भाजपाइयों और संघियों का मेलजोल पूरी दुनिया के सामने है। ये सारे ऐसे नाम है जो कि स्वयं बलात्कार के मामले में आरोपी है। अब इन्हीं में से कइयों को भाजपा सरकार सारे नियम-क़ायदे और कानून ताक पर रख कर रिहा कर रही है या पैरोल पर बाहर कर रही है। गुजरात में बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सज़ा काट रहे बलात्कारियों को न केवल भाजपा सरकार ने रिहा कराया बल्कि हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा उनका जगह-जगह स्वागत भी किया गया।

साक्षी की हत्या को ‘लव जिहाद’ बनाने के संघ की कोशिश को ‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ के नेतृत्व में शाहबाद डेरी की जनता ने नाकाम किया

शाहाबाद डेरी में संघ के ‘लव जिहाद’ के प्रयोग को असफल कर दिया गया। पहले तो इलाक़े में भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी के कार्यकर्ताओं और लोगो ने एकजुट होकर संघियों को इलाक़े से खदेड़ दिया। इसके बाद इलाक़े में संघियों को चेतावनी देते हुए और हत्यारे साहिल को कठोर सज़ा देने की माँग करते हुए रैली निकाली गयी। इलाक़े से खदेड़े जाने के बाद से और ‘लव जिहाद’ का मसला न बन पाने के कारण संघी बौखलाये हुए थे। संघ के अनुषांगिक संगठनों द्वारा इलाक़े का माहौल ख़राब करने के मक़सद से सभा भी बुलायी गयी और मुस्लिमों के ख़िलाफ़ खुलकर ज़हर उगला गया, पर इनकी यह कोशिश भी नाक़ाम रही।

‘द गुजरात स्टोरी’ : भाजपा के शासन में गुजरात में 41 हज़ार महिलाएँ लापता!

ऐसा क्यों होता है कि “संस्कार” और “प्राचीन भारतीय हिन्दू संस्कृति” की रट लगाने वाले ये लोग ही कुसंस्कारों की गटरगंगा में सबसे अधिक गोते लगाते पाये जाते हैं? “संसद-विधानसभा की मर्यादा”, “ईमानदारी” और “राष्ट्रवाद” का भ्रमजाल फैलाने वाले इन हिटलर-मुसोलिनी की सन्तानों का असल चेहरा बेहद ही अश्लील और घृणास्पद है।

अतीक अहमद की हत्या और “माफ़िया-मुक्त” उत्तर प्रदेश के योगी के दावों की असलियत

पूँजीवादी समाज व्यवस्था में अपराधमुक्त, गुंडामुक्त, माफिया मुक्त समाज की कल्पना करना एक मुग़ालते में ही जीना है। वैसे भी जब सबसे बड़ी गुण्‍डावाहिनी ही सत्‍ता में हो, तो प्रदेश को गुण्‍डामुक्‍त व अपराधमुक्‍त करने की बात पर हँसी ही आ सकती है। पूँजीवादी समाज की राजनीतिक-आर्थिक गतिकी छोटे-बड़े माफियाओं को पैदा करती है। भारत के पिछड़े पूँजीवादी समाज में बुर्जुआ चुनावों में धनबल-बाहुबल की भूमिका हमेशा प्रधान रही है और इस कारण तमाम बुर्जुआ क्षेत्रीय पार्टियों से लेकर राष्ट्रीय पार्टियों तक में इन माफियाओं की जरूरत हमेशा से मौजूद रही है। यह भी गौर करने वाली बात है कि 90 के दशक में जैसे-जैसे उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों को आगे बढ़ाया गया वैसे-वैसे भू माफिया, शराब माफिया, खनन माफिया, शिक्षा माफिया, ड्रग्स माफिया…आदि-आदि का जन्म तेजी से होता रहा। समय के साथ-साथ माफियाओं की आपसी रंजिश या उनके राजनीतिक संरक्षण में परिवर्तन से किसी माफिया की सत्ता का जाना और उस क्षेत्र में नये माफियाओं का आना चलता रहा है।

दिल्ली में फिर एक लड़की के साथ बर्बरता : न्याय व सम्मान के लिए संगठित होकर लड़ना होगा

नये साल के पहले ही दिन दिल्ली में एक बार फिर एक लड़की कुछ दरिन्दों की हैवानियत का शिकार बनी। नये साल का जश्न मनाकर लौट रहे पैसे, मर्दानगी और शराब के नशे में धुत्त कुछ नरपशुओं ने एक लड़की की स्कूटी को टक्कर मारी और फिर अपनी कार के नीचे फँसे उसके शरीर को मीलों तक सड़कों पर तब तक घसीटते रहे जब तक उसके शरीर के चीथड़े नहीं उड़ गये। किसी स्त्री के साथ हैवानियत की कोई घटना हो और उसमें भाजपा से जुड़े किसी शख़्स का नाम नहीं आये, ऐसा अब केवल अपवादस्वरूप ही होता है। इस बार भी पता चला कि मनोज मित्तल नाम का एक छुटभैया भाजपा नेता और दलाल इसमें शामिल है।

बिलकिस बानो बलात्कार और हत्या मामले के 11 अपराधियों की रिहाई : भाजपा और संघ की बेशर्मी की पराकाष्ठा

2002 से लेकर अब तक कुछ मामलों को छोड़कर लगभग सभी मामलों में न्याय का दरवाज़ा खटखटाने वालों को निराशा ही हासिल हुई है। अभी 24 जून 2022 को ज़ाकिया जाफ़री की याचिका ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इतिहास के इस काले अध्याय में देश को शर्मसार करने वाला एक और अध्याय जुड़ गया है। 15 अगस्त को बिलकिस बानो बलात्कार और हत्या मामले के 11 अपराधियों को क्षमा दे कर रिहा कर दिया गया। बिलकिस बानो भी गुजरात नरसंहार की शिकार महिला है।

‘देह व्यापार’ स्त्रियों-बच्चों के विरुद्ध शोषण, हिंसा, असहायता और विकल्पहीनता में लिथड़ा पूँजीवादी मवाद है!

सर्वोच्च न्यायलय द्वारा 19 मई को वेश्यावृत्ति को वैध क़रार दिए जाने सम्बन्धी फ़ैसला दिया गया है जिसकी काफ़ी चर्चा हो रही है। इन फ़ैसले के तहत ‘देह व्यापार’ में लगी स्त्रियों के “पुनर्वास” को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को कुछ दिशानिर्देश दिए गए हैं। साथ ही उक्त फ़ैसले में सर्वोच्च न्यायलय ने वेश्यावृत्ति अथवा ‘देह व्यापार’ को एक “पेशा” य “व्यवसाय” माना है और कहा है कि पुलिस “अपनी इच्छा से” वेश्यावृत्ति कर रही “सेक्स वर्कर्स” के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाई न करे।

बुल्ली बाई और सुल्ली डील इस सड़ते हुए समाज में फैले ज़हर के लक्षण हैं

इस साल की शुरुआत में जहाँ एक ओर देशभर में लोग नये साल का जश्न मना रहे थे, वहीं देश में दूसरी ओर मानवता को शर्मसार कर देने वाली बेहद घिनौनी घटना घटी। सोशल मीडिया पर ‘बुल्ली बाई’ नाम के एक ऐप के ज़रिए कई मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाते हुए इस ऐप पर उनकी बोली लगायी गयी। उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें भद्दे रूप में पेश किया गया। इस पूरे प्रकरण में उन महिलाओं को निशाना बनाया गया, जो राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपना पक्ष रखती हैं, जो मौजूदा समाज में अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती हैं।