Category Archives: कला-साहित्‍य

दो कविताएँ

दो कविताएँ – जैकी, गाँव धमतान साहि‍ब, नरवाना, हरि‍याणा घायल मज़दूर जब सड़कों की ओर चलो रे भाईया तब बदलेगा दूनि‍या का रवैया रोक दो पूँजीपति‍यों का पहि‍या और हर…

नाज़ी जर्मनी के चार चित्र (बेर्टोल्ट ब्रेष्ट का लघु नाटक)

हिटलर काल के जर्मनी पर बेर्टोल्ट ब्रेष्ट के लघु नाटकों की श्रृंखला ‘ख़ौफ़ की परछाइयाँ’ से। अनुवाद : अमृत राय

कॉमरेड : एक कहानी

इस शहर की प्रत्येक वस्तु बड़ी अद्भुत और बड़ी दुर्बोध थी। इसमें बने हुए बहुत-से गिरजाघरों के विभिन्न रंगों के गुम्बज आकाश की ओर सिर उठाये खड़े थे परन्तु कारख़ानों की दीवारें और चिमनियाँ इन घण्टाघरों से भी ऊँची थीं। गिरजे इन व्यापारिक इमारतों की ऊँची-ऊँची दीवारों से छिपे, पत्थर की उन निर्जीव चहारदीवारियों में इस प्रकार डूबे हुए थे जैसे मिट्टी और मलबे के ढेर में भद्दे, कुरूप फूल खिल रहे हों। और जब गिरजों के घण्टे प्रार्थना के लिए लोगों को बुलाते तो उनकी झनकारती हुई आवाज़ लोहे की छतों से टकराती और मकानों के बीच बनी लम्बी और सँकरी गलियों में खो जाती।

कल और आज / मक्सिम गोर्की

जनता के सब्र के उग्र विस्फोट ने जीवन के जीर्ण-शीर्ण निज़ाम को ध्वस्त कर दिया है और अब वह अपने पुराने रूप में दुबारा कभी स्थापित नहीं हो सकता। पुराने जीर्ण-शीर्ण अतीत का पूरी तरह नाश नहीं हुआ है, लेकिन आने वाले कल में यह हो जायेगा।

दो क़िस्से — कविता कृष्णपल्लवी

अगर कोई चोर-लम्पट-ठग-बटमार दाढ़ी बढ़ाकर संन्यासी जैसा भेस-बाना बनाकर लोगों की आँख में धूल झोंके तो लोगों को उसकी दाढ़ी में आग लगा देनी चाहिए और उसे इलाक़े से खदेड़ देना चाहिए।

केदारनाथ अग्रवाल की तीन छोटी कविताएँ

जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

हबीब जालिब के जन्मदिवस (24 मार्च) पर उनकी दो नज़्में

हबीब जालिब पाकिस्तान के इन्क़लाबी शायर थे जिन्होंने मेहनतकश अवाम की मुक्ति के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। अपनी धारदार शायरी के ज़रिये उन्होंने पाकिस्तान के तीन फ़ौजी तानाशाहों – जनरल अयूब, याहया और ि‍ज़‍या – की हुकूमतों की जमकर मुख़ालफ़त की और इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। इन्क़लाबी शायर के साथ ही साथ वे एक सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे। वे पाकिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे और आजीवन मज़दूर वर्ग की मुक्ति की विचारधारा मार्क्सवाद की पैरोकारी करते रहे। हबीब जालिब की नज़्में पाकिस्तान ही नहीं बल्कि समूचे दक्षिण एशिया में मशहूर हैं।

मक्सिम गोर्की : एक सच्चे सर्वहारा लेखक

दुनिया में ऐसे लेखकों की कमी नहीं, जिन्हें पढ़ाई-लिखाई का मौक़ा मिला, पुस्तकालय मिला, शान्त वातावरण मिला, जिसमें उन्होंने अपनी लेखनी की धार तेज़ की। लेकिन बिरले ही ऐसे लोग होंगे जो समाज के रसातल से उठकर आम-जन के सच्चे लेखक बने। मक्सिम गोर्की ऐसे ही लेखक थे। उनका उपन्यास ‘माँ’ आज दुनिया की लगभग हर भाषा में पढ़ा जाता है।

ज़िम्बाब्वे के प्रमुख कवि चेन्जेराई होव की चार कविताएँ

ज़िम्बाब्वे के प्रमुख कवि चेन्जेराई होव की चार कविताएँ इनकार पुलिस जब आ ही जाये ऐन सिर पर और उसकी लाठी नृत्य करने लगे तुम्हारी पीठ पर इनकार कर देना…

कचोटती स्वतंत्रता

तुर्की के महाकवि नाज़िम हिकमत की कविता ‘कचोटती स्वतंत्रता’