Category Archives: संघर्षरत जनता

लुधियाना में गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ मज़दूरों का संघर्ष

टिब्बा रोड मामले के ये दोषी व इनके साथियों से इस इलाके के लोग खासकर मज़दूर काफी परेशान हैं। मज़दूरों से मारपीट करना, उनसे पैसे-मोबाइल छीन लेना, लड़कियाँ छेड़ना आदि इनका रोज़मर्रा का काम है। पुलिस के पास शिकायतें होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब फिर पुलिस इस लूट-मार की घटना को आपसी झगड़े का मामला बताकर इन गुण्डों को बचाने में लगी है। इलाके का एक अकाली नेता व कुछ अन्य व्यक्ति गुण्डों की मदद कर रहे हैं। मज़दूरों के अलावा बाकी स्थानीय आबादी गुण्डों के ख़िलाफ़ खुलकर सामने नहीं आ रही लेकिन गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ मज़दूरों के संघर्ष से लोग काफी खुश हैं।

लुधियाना में भारती डाइंग मिल में हादसे में मज़दूरों की मौत और इंसाफ़ के लिए मजदूरों का एकजुट संघर्ष

मजदूरों की मौत होने के बाद भी मालिक ने अमानवीय रुख नहीं त्यागा। मालिक ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने से साफ़ इनकार कर दिया। निरंजन के रिश्तेदारों को मालिक ने अपने घर बुलाकर बेइज्ज़त किया। मुआवजे के नाम पर वह दोनों परिवारों को 25-25 हजार देने तक ही तैयार हुआ। पीड़ित परिवारों ने मालिक को कहा कि उन्हें भीख नहीं चाहिए बल्कि अपना हक चाहिए। मालिक ने उचित मुआवजा देने से देने से साफ मना कर दिया। सुरेश का परिवार कहाँ गया, उसका इलाज कब और कहाँ किया गया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। निरंजन का परिवार उत्तर प्रदेश से काफी देर से 30 को ही लुधियाना पहुँचा। जान-पहचान वाले अन्य मजदूरों ने पुलिस के पास जाकर इंसाफ़ लेने की सोची।

आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने किया दिल्‍ली विधान सभा का घेराव

इस चेतावनी रैली के ज़रिये आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने केजरीवाल सरकार के समक्ष यह साफ़ कर दिया है कि जब तक उनकी माँगों को स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। बिगुल मज़दूर दस्ता आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों के इस संघर्ष में लगातार उनका समर्थन कर रहा है। ज्ञात हो कि 14 जुलाई को केजरीवाल सरकार का एक प्रतिनिधिमण्डल हड़तालकर्मियों से मिला था, पर सरकार के इन नुमाइन्दों ने दिलासा देने के अलावा कोई ठोस आश्वासन देना ज़रूरी नहीं समझा, जिसके बाद कर्मचारियों ने एकमत से यह तय किया कि वह एक चेतावनी रैली निकालकर केजरीवाल सरकार को यह चेता देंगे कि उन्हें कोरे दिलासे नहीं बल्कि ठोस कार्यवाही और अपनी माँगों की स्वीकृति चाहिए। आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने आज यह घोषणा की कि अगर सरकार जल्द से जल्द उनकी माँगों की सुनवाई नहीं करती है तो अगली बार वह दिल्ली सचिवालय का घेराव करेंगे।

चीन के प्रदूषणकारी कारख़ानों के खि़लाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर

पिछले महीने के आखि़र में चीन के दक्षिण पश्चिमी शंघाई के ज़िले जिनशान में दसियों हज़ार लोग सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर आये। दरअसल, मुद्दा सरकार द्वारा जिनशान में एक ज़हरीले रासायन पैराज़ायलिन (पीएक्स) के निर्माण के लिए प्लाण्ट लगाये जाने का था। सरकार की मंशा गाओकियाओ औद्योगिक पार्क से पैराज़ायलिन के प्लाण्ट को जिनशान में लाने की थी। जैसे ही लोगों को सरकार की इस योजना का पता चला, उन्होंने जिनशान की सरकारी इमारतों का घेराव शुरू कर दिया। उनके हाथों में “पीएक्स बाहर जाओ!”, “हमें हमारा जिनशान वापिस दो!” जैसे नारों वाली दफ्ति‍याँ थीं। सरकार ने स्थानीय मीडियापर दबाव बनाकर प्रदर्शन की ख़बर के “ब्‍लैकआउट” की पूरी कोशिश की। लेकिन जैसे-जैसे ख़बर फैलती गयी विरोध प्रदर्शन तेज़़ होते गये। लोगों की संख्या 50,000 तक पहुँच गयी।

पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट की नर्सों की हड़ताल

हड़ताल पर बैठी नर्सों की माँग है कि छठे वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के अन्तर्गत आने वाले सभी लाभ उन्हें दिये जाये, साथ ही बोनस, मरीज भत्ता और जोखिम भत्ता भी मुहैया कराया जाये। पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट के प्रशासन के दबाव के बावजूद भी नर्सें अपनी हड़ताल को बहादुरी के साथ आगे बढ़ा रही हैं। दिल्ली स्टेट गवर्नमेण्ट हॉस्पिटल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की तरफ़ से नर्सों के इस संघर्ष में अपना समर्थन देते हुए शिवानी ने कहा कि स्थायी नर्सों के इस संघर्ष में अन्य सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे संविदा कर्मचारी भी उनके साथ हैं।

खट्टर सरकार द्वारा नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर पुलिसिया दमन!

आज यह बात स्पष्ट है कि मौजूदा खट्टर सरकार भी पिछली तमाम सरकारों की तरह ही हरियाणा की आम जनता के हक़-अधिकारों पर डाका डाल रही है। असल में चुनाव से पहले किये जाने वाले बड़े-बड़े वायदे केवल वोट की फ़सल काटने के लिए ही होते हैं। गेस्ट टीचर, अस्थायी कम्प्यूटर टीचर, आशा वर्कर, रोडवेज़ कर्मचारी, मनरेगा मज़दूर, एनसीआर के औद्योगिक मज़दूर आदि आयेदिन अपनी जायज़-न्यायसंगत माँगों को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही।

जम्मू में रहबरे-तालीम शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज!

13 अप्रैल को जम्मू में अपने बकाया वेतन जारी करने की माँग को लेकर आरईटी टीचरों नें जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी जम्मू स्थित सचिवालय का घेराव कर रहे रहबरे-तालीम शिक्षकों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया। काफ़ी शिक्षक घायल हुए और चार शिक्षकों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया। इस प्रदर्शन में सर्व-शिक्षा अभियान के तहत लगे शिक्षक, एजुकेशन वॉलंटियर से स्थायी हुए शिक्षक और कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय के अध्यापक शामिल थे। इस श्रेणी के तहत नियुक्त अध्यापकों का एक से तीन वर्षों का वेतन बकाया था जिसके विरोध में यह प्रदर्शन किया गया था। इससे पहले जब शिक्षकों द्वारा सरकार व शिक्षा विभाग को बकाया वेतन जारी करने के लिए कहा गया तो वहाँ से सिवा कोरे आश्वासनों के कुछ नहीं मिला, इसलिए शिक्षकों ने सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया, परन्तु पुलिस ने शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठियाँ बरसायीं जिसमें 10 शिक्षक घायल हुए।

ऑर्बिट बस काण्ड और बसों में बढ़ती गुण्डागर्दी के विरोध में पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन

ऑर्बिट बस काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी, पंजाब ने माँग की है कि ऑर्बिट बस कम्पनी के मालिकों पर आपराधिक केस दर्ज हो, ऑर्बिट बस कम्पनी के सारे रूट रद्द कर पंजाब रोडवेज को दिये जायें, पंजाब का गृहमन्त्री सुखबीर बादल जो ऑर्बिट कम्पनी के मालिकों में भी शामिल है इस्तीफ़ा दे, इस मसले पर संसद में झूठा बयान देने वाली केन्द्रीय मन्त्री हरसिमरत कौर बादल भी इस्तीफ़ा दे, समूचे बादल परिवार की जायदाद की जाँच सुप्रीम कोर्ट के जज से करवायी जाये। प्राइवेट बस कम्पनियों द्वारा स्टाफ़ के नाम पर गुण्डे भर्ती करने पर रोक लगाने, बसों की सवारियों ख़ासकर स्त्रियों की सुरक्षा की गारण्टी करने के लिए काले शीशे और पर्दों पर पाबन्दी लगाने, अश्लील गीत, अश्लील फ़िल्में, ऊँचे हॉर्न से होने वाले ध्‍वनि प्रदूषण पर रोक लगाने आदि माँगें भी उठायी गयीं। इसके साथ ही फरीदकोट में ऑर्बिट बस काण्ड के खि़लाफ़ प्रदर्शन कर रहे नौजवान-छात्रों पर लाठीचार्ज व उन्हें हत्या के प्रयास के झूठे आरोपों में जेल में ठूँसने की सख्त निन्दा करते हुए ये केस रद्द करने व जेल में बन्द नौजवानों-छात्रों को रिहा करने की माँग उठायी गयी।

अमेरिका के फ़ास्ट फ़ूड कामगारों का संघर्ष

‘फ़ाइट फ़ॉर 15 डॉलर’ आन्दोलन की नींव वर्ष 2012 में तब पड़ी जब नवम्बर माह में मैकडॉनल्ड, सबवे, बर्गर किंग, केएफ़सी जैसी बड़ी फ़ास्ट फ़ूड कम्पनियों के कामगारों ने अपनी माँगों को लेकर न्यूयॉर्क शहर में विरोध प्रदर्शन एवं हड़तालें संगठित कीं। धीरे-धीरे वह आन्दोलन गति पकड़ता हुआ अमेरिका के 200 अन्य शहरों में फैल गया। नतीजतन बीती 15 अप्रैल को अलग-अलग पेशों के क़रीब 60,000 कामगार ‘फ़ाइट फ़ॉर 15 डॉलर’ के बैनर तले विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए

हेडगेवार अस्पताल के ठेका सफ़ाई कर्मचारियों के संघर्ष के आगे झुके अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार

डीएसजीएचकेयू की संयोजक शिवानी ने बताया कि हमारी मुख्य माँग तो यही है कि दिल्ली सरकार दिल्ली में नियमित प्रकृति के कार्य में ठेका प्रथा समाप्त करने के अपने वायदे को पूरा करे। उन्होंने कहा कि मज़दूरों की एकजुटता के चलते हमें आंशिक जीत तो मिली है पर हमारा संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ है; हमारी यूनियन ठेका प्रथा समाप्त करने की माँग को लेकर दिल्ली सरकार के अन्य अस्पताल के ठेका कर्मियों को गोलबन्द करेगी। दिल्ली स्टेट गवर्मेण्ट हॉस्पिटल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन ने इस जीत के बाद अब दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में ठेका प्रथा ख़त्म करवाने की माँग को लेकर सभी कर्मचारियों को एकजुट करने के लिए अभियान शुरू कर दिया है