Category Archives: संघर्षरत जनता

निर्माण मज़दूर यूनियन, नरवाना ने सम्पन्न की दूसरी आम सभा

पिछली 3 अगस्त को निर्माण मज़दूर यूनियन, नरवाना (हरियाणा) ने अपनी दूसरी आम सभा सम्पन्न की। सभा की अध्यक्षता मज़दूर साथी इन्दर ने की जो यूनियन के अध्यक्ष भी हैं। सभा के दौरान मुख्य रूप से तीन एजेंडों पर बात की गयी। पहली चर्चा यूनियन की ज़रूरत और मज़दूर वर्ग के ऐतिहासिक लक्ष्य पर की गयी। चर्चा के दौरान यह बात तफ़सील से रखी गयी कि यूनियन के तहत हमारा रोज़मर्रा का संघर्ष हमारी ज़िन्दगी के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना कि साँस लेना। किन्तु हमें अपने दूरगामी लक्ष्य से अपनी नज़र एक पल के लिए भी नहीं हटानी होगी। यह लक्ष्य है ऐसा समाज बनाना जिसमें उत्पादन पर उत्पादक वर्गों का कब्जा हो और वितरण का अधिकार भी उन्हीं के हाथों में हो।

कारख़ाना मालिक द्वारा एक मज़दूर की बर्बर पिटाई के खि़लाफ़ लुधियाना के दो दर्जन से अधिक कारख़ानों के सैकड़ों पावरलूम मज़दूरों ने लड़ी पाँच दिन लम्बी जुझारू विजयी हड़ताल

टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के नेतृत्व में मेहरबान, लुधियाना के दो दर्जन से अधिक पावरलूम कारख़ानों में सैकड़ों मज़दूरों ने एक जुझारू हड़ताल कामयाबी के साथ लड़ी है। 14 जुलाई की शाम से शुरू हुई और 19 जुलाई की दोपहर तक जारी रही यह हड़ताल वेतन वृद्धि, फ़ण्ड, बोनस जैसी आर्थिक माँगों पर नहीं थी बल्कि एक पावरलूम मज़दूर चन्द्रशेखर को मोदी वूलन मिल्ज़ के मालिक जगदीश गुप्ता द्वारा बुरी तरह पीटे जाने के खि़लाफ़ और मालिक के खि़लाफ़ सख़्त क़ानूनी कार्रवाई करवाने की माँग पर लड़ी गयी थी।

वज़ीरपुर के गरम रोला मज़दूरों का ऐतिहासिक आन्दोलन

वज़ीपुर मज़दूर आन्दोलन के दौरान गरम रोला मज़दूरों ने राज्यसत्ता के इस पूरे चरित्र को भी एक हद तक समझा है। चाहे वह श्रम विभाग हो, पुलिस हो, या अदालतें हों, मज़दूर यह समझ रहे हैं कि पूरी राज्यसत्ता की वास्तविक पक्षधरता क्या है, उसका वर्ग चरित्र क्या है और मज़दूर आन्दोलन केवल क़ानूनी सीमाओं के भीतर रहते हुए ज़्यादा कुछ हासिल नहीं कर सकता है। आन्दोलन के पूरे होने पर हम एक और विस्तृत रपट ‘मज़दूर बिगुल’ में पेश करेंगे और आन्दोलन की सकारात्मक और नकारात्मक शिक्षाओं पर विस्तार से अपनी बात रखेंगे। अभी आन्दोलन जारी है और हम उम्मीद करते हैं कि यह आन्दोलन अपने मुकाम तक पहुँचेगा।

गरम रोला कारखाने के मज़दूरों का जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन

आज वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के गरम रोला कारखाने के मज़दूरों ने जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन किया। जन्तर-मन्तर से संसद मार्ग तक 500 की संख्या में मज़दूरों ने रैली निकाली और श्रम मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को अपना ज्ञापन सौंपा। ज्ञात हो कि पिछले बीस दिनों से गरम रोला कारखाने के मज़दूर गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में अपनी माँगों को लेकर हड़ताल पर हैं। गरम रोला एकता समिति के रघुराज ने बताया कि वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में सरेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन होता है। लेबर कोर्ट पास में ही नीमड़ी काॅलोनी में है लेकिन ठीक उनकी नाक के नीचे मज़दूरों का शोषण बदस्तूर जारी है। इसलिए मज़दूर इन कारखानों में श्रम कानूनों को लागू करवाने की अपनी माँग को लेकर हड़ताल पर हैं। वजीरपुर का यह वही औद्योगिक क्षेत्र है जहाँ लोहे को पिघला कर स्टेनलेस स्टील बनायी जाती है। बेहद खतरनाक और जोखिम भरे माहौल में मज़दूरों को बारह से चौदह घण्टे खटना पड़ता है। यहाँ न तो कोई न्यूनतम मज़दूरी दी जाती है और न ही किसी तरह की कोई सुरक्षा है। आए दिन दुर्घटनायें होती रहती हैं।

मिंडा फ़रूकवा इलेक्ट्रिक कम्पनी में मज़दूरों का जुझारू संघर्ष

पूरे बावल क्षेत्र में पिछले 2 माह से अलग-अलग फ़ैक्टरियों के मज़दूर यूनियन बनाने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे है चाहे वे एहरेस्टी के मज़दूरों हो या पास्को के। इसलिए ये बात साफ़ है कि आज पूरे गुड़गांव-मानेसर-धारुहेड़ा-बावल में मज़दूरों की कुछ साझा मांग बनाती है जैसे यूनियन बनाने की मांग, ठेका प्रथा खत्म करने की मांग या जबरन ओवरटाईम खत्म करने की मांग। ये सभी हमारी साझा मांगें है इसलिए इनके खिलाफ़ भी हमें साझा संघर्ष करना होगा क्योंकि हम सभी मज़दूर जानते है मालिकों-सरकार-पुलिस-प्रशासन गठजोड़ एकजुट होकर मज़दूरों के खिलाफ़ है और इनके खिलाफ़ सिर्फ़ एक फ़ैक्टरी के आधार पर नहीं जीता जा सकता है बल्कि पूरे आटो सेक्टर या पूरे इलाके के मज़दूरों की फ़ौलादी एकता कायम करके ही मज़दूर विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सकता है। इसलिए हमें अपने फ़ैक्टरी संघर्ष के साथ ही पूरे आटो सेक्टर के मज़दूरों की एकता कायम करने की लम्बी लड़ाई में जुटाना होगा।

हज़ारों मज़दूरों ने निकाली विशाल रैली, तोड़-फोड़ करने वाले तत्वों को खदेड़ा, और की सामुदायिक रसोई की शुरुआत की घोषणा

आज दिनांक 20 जून 2014 को, गरम रोला मजदूर एकता समिति के नेतृत्‍व में जारी हड़ताल के 15वें दिन करीब 3 हज़ार मजदूरों ने श्रीराम चौक पर सुबह 9 बजे इकट्ठा होकर पूरे वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में रैली निकाल कर अपनी एकजुटता और जुझारूपन का परिचय दिया| रैली में लगभग 3000 मज़दूरों ने भाग लिया| इनमें गरम रोला एवं ठंडा रोला में काम करने वाले मज़दूर, तपाई का काम करने वाले मज़दूर और तेजाब का काम करने वाले सभी मज़दूर शामिल थे| इसके बाद, प्रत्येक दिन की भांति सभी मजदूर वजीरपुर के राजा पार्क में आगे की सभा चलाने के लिए एकत्रित हुए जहाँ हड़ताल में शामिल सभी मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का दृढ़ निश्चय लिया|

वज़ीरपुर स्टील उद्योग के गरम रोला के मज़दूर फि़र से जुझारू संघर्ष की राह पर

इस हड़ताल का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि 26 फ़ैक्टरियों के मज़दूरों ने हर कारख़ाने की कमेटी बनाकर इस हड़ताल का संचालन किया, जो ट्रेडयूनियन जनवाद की मिसाल है। यह हमारी इस लड़ाई का सकारात्मक पहलू है। अब गरम रोला मज़दूरों को इन सकारात्मक अनुभवों को आगे बढ़ाते हुए क्या करना होगा? बिगुल मज़दूर दस्ता का यह मानना है कि गरम रोला मज़दूर एकता समिति को अपने संघर्ष को गरम रोला के साथ ही स्टील लाइन से जुड़े तमाम अन्य पेशों जैसे ठण्डा रोला, सर्किल, तेज़ाब, तैयारी, फुडाई और पैकिंग व वज़ीरपुर इलाक़े की सभी फ़ैक्टरियों के मज़दूरों के साथ जोड़ना होगा। 700 कारख़ानों में मज़दूरों की ज़्यादातर माँगें समान हैं। वज़ीरपुर इलाक़े के मज़दूर उधम सिंह पार्क, शालीमार बाग़ व सुखदेव नगर की झोपड़पट्टियों में रहते हैं और यहाँ मज़दूरों की आवास, पानी व अन्य साझा माँगें भी बनती हैं। इसलिए गरम रोला के संघर्ष को और भी जीवन्त तरीक़े से अन्य पेशों के मज़दूरों के साथ जोड़ने की ज़रूरत है।

हरियाणा के नरवाना में निर्माण मज़दूरों ने संघर्ष के दम पर जीती हड़ताल

15 तारीख़ को ही निर्माण मज़दूर यूनियन की तरफ़ से पर्चा छपवा दिया गया और सभी मज़दूरों को एकजुट करके हड़ताल करने का निर्णय लिया गया। उसी दिन यूनियन की 11 सदस्यीय कार्यकारी कमेटी का चुनाव भी कर लिया गया। पहले दिन काम बन्द करवाने को लेकर कई मालिकों के साथ कहा-सुनी और झगड़ा भी हुआ, किन्तु अपनी एकजुटता के बल पर यूनियन ने हर जगह काम बन्द करवा दिया। 16 तारीख़ को यूनियन ने नौभास और बिगुल मज़दूर दस्ता की मदद से पूरे शहर में पर्चा वितरण और हड़ताल का प्रचार किया। मज़दूरों के संघर्ष और जुझारू एकजुटता के सामने 16 तारीख़ को ही दोपहर में मालिकों यानी भवन निर्माण से जुड़ी सामग्री बेचने वाले दुकानदारों ने हाथ खड़े कर दिये। मज़दूरी में किसी सामग्री में 100 तो किसी में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई। जैसे पहले सीमेण्ट का एक कट्टा 1.25 से 1.50 रुपये तक में उतारा और लादा जाता था, हड़ताल के बाद इसका रेट न्यूनतम 2.50 रुपये तय हुआ। रेती की ट्राली उतारने और लादने का रेट 60-70 से बढ़कर 130 रुपये न्यूनतम तय हुआ।

भगाना काण्ड: हरियाणा के दलित उत्पीड़न के इतिहास की अगली कड़ी

रोज़-रोज़ प्रचारित किया जाने वाला हरियाणा के मुख्यमन्त्री का ‘नम्बर वन हरियाणा’ का दावा कई मायनों में सच भी है। चाहे मज़दूरों के विभिन्न मामलों को कुचलना, दबाना हो, चाहे राज्य में महिलाओं के साथ आये दिन होने वाली बलात्कार जैसी घटनाओं का मामला हो या फिर दलित उत्पीड़न का मामला हो, इन सभी में हरियाणा सरकार अपने नम्बर वन के दावे पर खरी उतरती है। उत्पीड़न के सभी मामलों में सरकारी अमला जिस काहिली और अकर्मण्यता का परिचय देता है, वह भी अद्वितीय है।

बैक्सटर मेडिसिन कम्पनी में यूनियन बनाने के लिए मज़दूरों का संघर्ष!

गुड़गाँव के आईएमटी मानसेर में दवा कम्पनी बैक्सटर मेडिसिन ने 27 मई 2014 को बिना किसी पूर्व सूचना के ‘ए’ शिफ्ट में ड्यूटी पर आये मज़दूरों में से 17 नेतृत्वकारी मज़दूरों को निलम्बन का पत्र पकड़ा दिया। कम्पनी की तानाशाही के खि़लाफ़ मज़दूरों ने संघर्ष का रास्ता चुना और अपने बाहर निकाले गये साथियों की बहाली के लिए एकजुट होकर प्रशासन के दरवाज़े पर दस्तक दी।