दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन द्वारा मालिकों से लड़ी जा रही क़ानूनी लड़ाई की पहली जीत!
अकसर क़ानूनी मामलों में मज़दूरों के बीच यह भ्रम पैदा किया जाता है कि वो मालिकों के पैसे की ताक़त के आगे नहीं जीत पाएंगे। मज़दूर द्वारा लेबर कोर्ट में केस दायर करने पर मालिक बिना किसी अपवाद के कोर्ट में उसे अपना मज़दूर मानने से साफ़ इनकार कर देता है और ऐसे हालात में अगर मज़दूर एकजुट न हो तो मालिकों के लिए उन्हें हराना और भी आसान हो जाता है। लेकिन राजनीतिक आंदोलनों के ज़रिये जो दबाव वज़ीरपुर के मजदूरों ने बनाया उसके चलते लेबर कोर्ट को भी मज़दूरों के पक्ष में फैसला देना पड़ा।