Category Archives: आर्काइव

दिसम्‍बर 2014

  • साम्राज्यवादी संकट के समय में सरमायेदारी के सरदारों की साज़िशें और सौदेबाज़ियाँ और मज़दूर वर्ग के लिए सबक
  • मोदी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को औने-पौने दामों में निजी पूँजीपतियों को बेचने के लिए कमर कसी
  • निवेश के नाम पर चीन के प्रदूषणकारी उद्योगों को भारत में लगाने की तैयारी
  • फ़ॉक्सकॉन के मज़दूरों का नारकीय जीवन
  • मोदी सरकार के अगले साढ़े-चार वर्षों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य-विश्लेषण आधारित कुछ भविष्यवाणियाँ!
  • जनता को तोपें और बमवर्षक नहीं बल्कि रोटी, रोज़गार, सेहत व शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतें चाहिए
  • पाखण्ड का नया नमूना रामपाल: आखि़र क्यों पैदा होते हैं ऐसे ढोंगी बाबा?
  • 1984 के ख़ूनी वर्ष के 30 साल – अब भी जारी हैं योजनाबद्ध साम्प्रदायिक दंगे और औद्योगिक हत्याएँ
  • अक्‍टूबर 2014

  • दोनों हाथ मज़दूर को लूटो, बोलो ‘श्रमेव जयते’!
  • अमीर और ग़रीब के बीच बढ़ती खाई से दुनिया भर के हुक़्मरान फ़ि‍क्रमन्द – आखि़र ये माजरा क्या है?
  • मक्सिम गोर्की की कहानी – करोड़पति कैसे होते हैं
  • मोदी सरकार का नया तोहफ़ा: जीवनरक्षक दवाओं के दामों में भारी वृद्धि
  • निठारी काण्ड का फैसला: पूँजीवादी व्यवस्था में ग़रीबों-मेहनतकशों को इंसाफ़ मिल ही नहीं सकता
  • नरेन्द्र मोदी का “स्वच्छ भारत अभियान” : जनता को मूर्ख बनाने की नयी नौटंकी
  • कश्मीर में बाढ़ और भारत में अंधराष्ट्रवाद की आँधी
  • हर देश में अमानवीय शोषण-उत्पीड़न और अपमान के शिकार हैं प्रवासी मज़दूर
  • छात्र-युवा आन्दोलन में नया उभार और भविष्य के संकेत