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आर्काइव
मज़दूर बिगुल – दिसम्बर 2018
आर्काइव
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पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की शिकस्त : यह निश्चिंत होने का समय नहीं है बल्कि फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई को और व्यापक और धारदार बनाने का समय है!
रिज़र्व बैंक और सरकार का टकराव और अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत
मौजूदा किसान आन्दोलन और इनकी माँगें, क्या इनसे ”किसानी के संकट” और गाँव के ग़रीबों की समस्याओं का हल सम्भव है?
फ़्रांस की सड़कों पर फूटा पूँजीवाद के ख़िलाफ़ जनता का गुस्सा
बुलन्दशहर की हिंसा : किसकी साज़िश?
प्रधानमन्त्री आवास योजना की हक़ीक़त – दिल्ली के शाहबाद डेरी में 300 झुग्गियों को किया गया ज़मींदोज़!
दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के ठेका कर्मचारियों की हड़ताल : एक रिपोर्ट
हरियाणा रोडवेज़ की 18 दिन चली हड़ताल की समाप्ति पर कुछ विचार बिन्दु
गाँव के ग़रीबों का हित किसके साथ है?
अमीरों के पैदा किये प्रदूषण से मरती ग़रीब अाबादी
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मज़दूर बिगुल – सितम्बर-नवम्बर 2018
आर्काइव
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साढ़े चार साल के मोदी राज की कमाई!-ध्वस्त अर्थव्यवस्था, घपले-घोटाले, बेरोज़गारी- महँगाई!
ग़रीबों से जानलेवा वसूली और अमीरों को क़र्ज़ माफ़ी का तोहफ़ा
महिला एवं बाल विकास विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार का आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने दिल्ली में किया पर्दाफ़ाश!
गुजरात से उत्तर भारतीय प्रवासी मज़दूरों का पलायन : मज़दूर वर्ग पर बरपा ‘गुजरात मॉडल’ का कहर
जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट – अगर समय रहते पूँजीवाद को ख़त्म न किया गया तो वह मनुष्यता को ख़त्म कर देगा
“स्वच्छ भारत अभियान” की कहानी झाड़ू की जुबानी
सनातन संस्था की असली जन्म कुंडली : बम धमाकों से महाराष्ट्र को कौन दहलाना चाहता था?
मोदी राज में बैंकिंग व वित्तीय सेक्टर के घपले-घोटाले और गहराता आर्थिक संकट
धार्मिक बँटवारे की साज़िशों को नाकाम करो! पूँजीवादी लूट के ख़िलाफ़ एकता क़ायम करो!
टेक्स्टाइल उद्योग में हड़ताल और बोल्शेविकों का काम
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मज़दूर बिगुल – अगस्त 2018
आर्काइव
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आम लोगों के जीवनस्तर में वृद्धि के हर पैमाने पर देश पिछड़ा – ‘अच्छे दिन’ सिर्फ़ लुटेरे पूँजीपतियों के आये हैं
प्रधान चौकीदार की देखरेख में रिलायंस ने की हज़ारों करोड़ की गैस चोरी और अब कर रही है सीनाज़ोरी
साल-दर-साल बाढ़ की तबाही : महज़ प्राकृतिक आपदा नहीं मुनाफ़ाखोर पूँजीवादी व्यवस्था का कहर!
असम के 40 लाख से अधिक लोगों से भारतीय नागरिकता छिनी
मज़दूरों के क्रान्तिकारी अख़बार के बारे में लेनिन के विचार
भुखमरी का शिकार देश : ये मौतें व्यवस्था के हाथों हुई हत्याएँ हैं!
बेरोज़गारी की भयावह होती स्थिति
अर्जेण्टीना में गम्भीर आर्थिक संकट – वर्ग संघर्ष तेज़ हुआ
दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी पर हाई कोर्ट का फ़ैसला पूँजीवादी व्यवस्था की कलई खोल देता है
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मज़दूर बिगुल – जुलाई 2018
आर्काइव
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बढ़ते असन्तोष से बौखलाये मोदी सरकार और संघ परिवार
बदहाली के सागर में लुटेरों की ख़ुशहाली के जगमगाते टापू – यही है देश के विकास की असली तस्वीर
भारतीय मज़दूर वर्ग की पहली राजनीतिक हड़ताल – एक प्रेरक और गौरवशाली इतिहास
आज़ाद ने मज़दूरों और ग़रीबों के जीवन को नज़दीक से देखा था और आज़ादी के बाद मज़दूरों के राज की स्थापना उनका सपना था
देशभर में लगातार जारी है जातिगत उत्पीड़न और हत्याएँ
अम्बानी का जियो इंस्टीट्यूट – पैदा होने से पहले ही मोदी ने तोहफ़ा दे दिया!
भारी महँगाई और पूँजीपतियों की ”कठिन” ज़िन्दगी – लेनिन
ग़रीबों से वसूले टैक्सों के दम पर अमीरों की मौज
”गौमाता” के नाम पर हत्याओं का सिलसिला
नोएडा में सैम्संग के नये कारख़ाने से मिलने वाले रोज़गार का सच
बेअसर होती एण्टीबायोटिक दवाएँ : मुनाफ़े के जाल में फँसे फ़ार्मा उद्योग का विनाशकारी भस्मासुर
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मज़दूर बिगुल – जून 2018
आर्काइव
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भारत में लगातार चौड़ी होती असमानता की खाई! जनता की बर्बादी की क़ीमत पर हो रहा ”विकास”!!
क्या देश अमीरों के टैक्स के पैसे से चलता है? नहीं!
तेल की लगातार बढ़ती क़ीमत : वैश्विक आर्थिक संकट और मोदी सरकार की पूँजीपरस्त नीतियों का नतीजा
मौजूदा आर्थिक संकट और मार्क्स की ‘पूँजी’
सच और साहस – दो दाग़िस्तानी क़िस्से / रसूल हमज़ातोव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : भारतीय फ़ासीवादियों की असली जन्मकुण्डली
क्रान्तिकारी सोवियत संघ में स्वास्थ्य सेवाएँ
हत्यारे वेदान्ता ग्रुप के अपराधों का कच्चा चिट्ठा
विश्व बैंक की आँखों में चुभते श्रम-क़ानून
कविता : हत्यारों की शिनाख़्त / लेस्ली पिंकने हिल
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मज़दूर बिगुल – मई 2018
आर्काइव
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मोदी सरकार के चार साल : अच्छे दिनों का सपना दिखाकर लूट-खसोट के नये कीर्तिमान
नेशनल पेंशन स्कीम – कर्मचारियों के हक़ों पर डकैती डालने की नयी स्कीम
बर्बर ज़ायनवादियों ने ग़ाज़ा में करवाया एक और क़त्लेआम – फ़िलिस्तीनियों ने पेश की बहादुराना प्रतिरोध की एक और मिसाल
कर्नाटक चुनाव और इक्कीसवीं सदी के फासीवाद की अश्लील राजनीति के मुज़ाहरे
वालमार्ट के हाथों फ्लिपकार्ट का सौदा
लेनिन – मार्क्सवाद और सुधारवाद
गीत – क्या मैं अब भी कसूरवार नहीं हूँ? / बेर्निस जॉनसन रीगन
पूँजीवादी जनतन्त्र के बारे में कार्ल मार्क्स के विचार
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मज़दूर बिगुल – अप्रैल 2018
आर्काइव
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सत्ता पर काबिज़ लुटेरों-हत्यारों-बलात्कारियों के गिरोह से देश को बचाना होगा!
सरकारी आँकड़ों की हवाबाज़ी और अर्थव्यवस्था की ख़स्ताहाल असलियत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी क़ानून में ”बदलाव” – जनहितों में बने क़ानूनों को कमज़ोर या ख़त्म करने का गुजरात मॉडल
यह एक गाथा है… पर आप सबके लिए नहीं!
“रामराज्य” में राजस्थान में पसरी भयंकर बेरोज़गारी!
”गुजरात मॉडल” का ख़ूनी चेहरा: सूरत का टेक्सटाइल उद्योग या मज़दूरों का क़त्लगाह!
दुनिया में सबसे अधिक बेरोज़गारों वाला देश बना भारत
अगर हमने पूँजीवाद को तबाह नहीं किया तो पूँजीवाद पृथ्वी को तबाह कर देगा
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मजदूर बिगुल – मार्च 2018
आर्काइव
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सावधान! श्रम क़ानूनों में बदलाव करके स्थायी रोज़गार को ख़त्म करने की दिशा में क़दम बढ़ा चुकी है सरकार
बैंक घोटाले, भ्रष्ट मोदी सरकार और पूँजीवाद
महाराष्ट्र में किसानों और आदिवासियों का ‘लाँग मार्च’ : आन्दोलन के मुद्दे, नतीजे और सबक़
दिल्ली में बेरोज़गारी के गम्भीर हालात बयान करते आँकड़े
मारुति मानेसर प्लाण्ट के मज़दूरों की सज़ा के एक वर्ष पूरा होने पर पूँजीवादी न्याय-व्यवस्था द्वारा पूँजी की चाकरी की पुरज़ोर नुमाइश
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे और संसदीय वाम का संकट
हरियाणा में आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों का आन्दोलन : सीटू और अन्य संशोधनवादी ट्रेड यूनियनों की इसमें भागीदारी या फिर इस आन्दोलन से गद्दारी?!
लगातार बढ़ती मज़ूदरों की असुरक्षा
एल.जी. के मज़दूरों का संघर्ष ज़िन्दाबाद!
देश के विभिन्न राज्यों में ज़ोरों-शोरों से चलाया जा रहा है ‘भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून’ अभियान
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मजदूर बिगुल – फरवरी 2018
आर्काइव
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बढ़ते जन असन्तोष से तिलमिलाये भगवाधारी :विकास का मुखौटा धूल में, नफ़रत से सराबोर ख़ूनी चेहरा सबके सामने
बजट और आर्थिक सर्वेक्षण : झूठ का एक और पुलिन्दा
बढ़ती बेरोज़गारी और सत्ताधारियों की बेशर्मी
बेरोज़गारी क्यों पैदा होती है और इसके विरुद्ध संघर्ष की दिशा क्या हो
हथियारों का जनद्रोही कारोबार और राफ़ेल विमान घोटाला
सोवियत संघ में सांस्कृतिक प्रगति – एक जायज़ा
बढ़ते घपले-घोटाले और पूँजीवाद
मुक्तिबोध की कहानी :समझौता
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जनवरी 2018
आर्काइव
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नये साल में मज़दूर वर्ग के सामने खड़ा चुनौतियों का पहाड़
कड़कड़ाती ठण्ड और ‘स्मॉग’ के बीच मज़दूर वर्ग का जीवन
न्यायिक व्यवस्था का संकट और फ़ासिस्ट आतंक राज
भीमा कोरेगाँव की लड़ाई के 200 साल का जश्न – जाति अन्त की परियोजना ऐसे अस्मितावाद से आगे नहीं बल्कि पीछे जायेगी!
यमन संकट और अन्तरराष्ट्रीय मीडिया की साज़िशी चुप्पी
बेहिसाब बढ़ती आर्थिक और सामाजिक असमानता
नये साल का पहला ही दिन चढ़ा जातिगत तनाव की भेंट जाति-धर्म के नाम पर बँटने की बजाय हमें असली मुद्दे उठाने होंगे
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मज़दूर बिगुल - दिसम्बर 2018
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रिज़र्व बैंक और सरकार का टकराव और अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत
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